विद्यालय द्वारा किताब बेचने पर रद्द होगी मान्यता, हर साल फीस लेने पर भी रोक
महराजगंज टाइम्स ब्यूरो:- नए सत्र में विद्यालय द्वारा किताब कॉपी बेचना अब संचालक को महंगा पड़ेगा। इस संबंध में डीएम अनुनय झा ने एक आदेश जारी कर दिया है। इसमें विद्यालयों द्वारा पुस्तक बेचने और किसी दुकान से पुस्तक लेने का दबाव बनाने पर भी रोक लगाया है।
विद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों पर पुस्तकों को विद्यालय से ही लेने का दबाव बनाकर मोटी रकम वसूल की जा रही थी। विद्यालय से ही बच्चों को महंगी महंगी पुस्तकें बेची जा रही थी। इसके अलावा कुछ विद्यालयों की अधिकृत दुकानों से ही पुस्तक लेने के लिए दबाव बनाने की सूचना भी मिली थी। इसपर डीएम ने कड़ा एक्शन लेते हुए सोमवार को सभी विद्यालय संचालकों, प्रधानाचार्यों के नाम से एक कड़ा आदेश जारी किया है। इसके तहत आदेश दिया है कि विद्यालयों द्वारा प्रत्येक वर्ष विद्यार्थियों से प्रवेश शुल्क न लिया जाय। प्रवेश शुल्क केवल नए प्रवेश के समय ही लिया जाय। जो भी शुल्क विद्यार्थियों से लिया जाय उसका पूरा विवरण सहित रसीद विद्यार्थियों को दी जाय। शुल्क रसीद में लिए गए शुल्क के मदों का पूरा विवरण अनिवार्य रूप से रहना चाहिए।उन्होंने यह भी आदेश दिया है कि मनमाने तरीके से शुल्क वृद्धि न किया जाय। यदि शुल्क वृद्धि आवश्यक हो तो उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र शुल्क विनियमिन अधिनियम 2018 की धारा आठ के अंनतर्गत जिला शुल्क नियामक समिति के शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव विचार के लिए प्रस्तुत किया जाय। जिला शुल्क नियामक समिति के अनुमोदन के बिना कोई शुल्क न बढ़ाया जाय। यह भी आदेश दिया है कि विद्यालय से पुस्तकों को ने बेचा जाय। ना ही किसी निश्चित दुकान से पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य किया जाय। निर्धारित मूल्य एमआरपी से अधिक मूल्य न लिया जाय। पुस्तकों के मूल्य पर यदि छूट निर्धारित है तो उसे विद्यार्थियों को अवश्य दिया जाय। शासनादेशों, आदेश का उलंघन करने पर विद्यालय के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें भारी अर्थदंड लगाने के साथ ही विद्यालय की मान्यता भी समाप्त कर दी जाएगी। डीएम ने कहा है कि इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाय। डीआईओएस अमरनाथ राय ने बताया कि डीएम के निर्देश पर विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाएगा। बीएसए द्वारा ब्लाक स्तर पर टीम बनाकर विद्यालयों का निरीक्षण कराया जाएगा। खंड शिक्षा अधिकारी, राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, प्रवक्ताओं की टीम बनाकर विद्यालयों के अभिलेखों की जांच करायी जाएगी।
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